Thursday, September 18, 2014

शॉपकीपर्स पॉलिसी- कर्मचारी ने की धोखाधड़ी, तो बीमा कंपनी भरेगी हर्जाना

नई दिल्ली। आप कोई भी कारोबार करते हैं, तो उसमें नुकसान होने का खतरा हमेशा बना रहता है। जनरल इंश्योरेंस सेक्टर की कई कंपनियां छोटे दुकानदारों के सामने आने वाले कई जोखिमों को कवर करती हैं। न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी की 'शॉपकीपर्स पॉलिसी' खास तौर पर छोटे दुकानदारों के लिए डिजाइन की गई है। यह एकमात्र ऐसी पॉलिसी है जिसमें दुकानदारों की कई बीमा जरूरतों को एक साथ पूरा किया जाता है। इस पॉलिसी में दुकानदार के किसी वेतनभोगी कर्मचारी की धोखाधड़ी की वजह से हुए नुकसान को भी बीमा कंपनी कवर देती है। इसके अलावा इस पॉलिसी में आग और अन्य आपदाओं की वजह से शॉप बिल्डिंग और उसमें रखे हुए सामानों के नुकसान का बीमा कवर दिया जाता है।

क्या-क्या होता है कवर

  •     दुकानदार के किसी वेतनभोगी कर्मचारी की धोखाधड़ी की वजह से हुआ नुकसान
  •     विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप (अर्थक्वेक), भूस्खलन (लैंडस्लाइड), आग लगना, बिजली गिरना, बाढ़, आंधी, तूफान, चक्रवात आदि की वजह से दुकान और उसमें रखे सामान को हुआ नुकसान
  •  दंगे, हड़ताल, आतंकवादी गतिविधियों, वाटर टैंक या पाइप का ओवरफ्लो के कारण दुकान और उसमें रखे सामान का नुकसान
  •     ऊपर लिखी घटनाओं की वजह से दुकान के डैमेज के कारण कारोबार में बाधा आने से हुआ घाटा 
  •     चोरी और सेंधमारी की वजह से दुकान के सामान को हुआ नुकसान
  •     चोरी और सेंधमारी के कारण कैशियर के काउंटर से गायब पैसे
  •     लॉक सेफ में रखी पूंजी और कीमती सामान
  •     किसी दुर्घटना की वजह से दुकान में लगी फिक्स्ड प्लेट ग्लास को हुआ नुकसान
  •     किसी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा की वजह से नियोन साइन या ग्लो साइन को हुआ नुकसान
  •     कारोबारी यात्रा के दौरान गायब हुआ बैगेज
  •     दुकानदार और उसके पत्नी/बच्चों का पर्सनल एक्सिडेंट

कौन ले सकता है यह पॉलिसी

यह पॉलिसी वे छोटे दुकानदार ले सकते हैं जिनकी दुकान की बिल्डिंग और सामान की कुल कीमत 10 लाख रुपए से कम हो। अगर इन दोनों की कुल कीमत 10 लाख रुपए से अधिक है, तो वे यह पॉलिसी नहीं ले सकते।

शॉप्स एंड एस्टिबलेशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करा लेने भर से कोई दुकान यह पॉलिसी लेने के योग्य नहीं हो जाती। रेस्तरां, चाय की दुकान, कॉफी शॉप यह पॉलिसी नहीं ले सकते।

कैसे करें क्लेम
  •     कोई दुर्घटना होने या आपदा आने की स्थिति नुकसान कम करने के उपाय करें।
  •     आग लगने की स्थिति में तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित करें।
  •     चोरी, सेंधमारी होने की स्थिति में तुरंत पुलिस को सूचित करें। साथ ही उन्हें उन सामानों की सूची     और उनकी कीमत की भी जानकारी उन्हें दें।
  •     बीमा कंपनी को फोन या फैक्स के जरिए या लिखित रूप से सूचना दें। कंपनी का क्लेम फॉर्म भरें।
  •     बीमा कंपनी की ओर से नियुक्त किए गए सर्वएर के साथ पूरा सहयोग करें। अपने घाटे को साबित करने के लिए जरूरी कागजात उपलब्ध कराएं। 
courtesy- bhaskar.com

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